जानें कैसे हुआ भारतीय संविधान का निर्माण

 जानें कैसे हुआ भारतीय संविधान का निर्माण bharatiya samvidhan ka nirman kaise hua bharatiya samvidhan ka nirman making of indian constitution

जानें कैसे हुआ भारतीय संविधान का निर्माण 



किसी भी राष्ट्र को सुचारु रूप से चलना व उस राष्ट्र के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों, कर्तव्यों व विभिन्न शासन व्यवस्थों का निर्माण आसान काम नहीं होता है इसके पीछे उसकी एतिहासिक प्रष्ठभूमि एवं उसके संविधान का अहम भूमिका होती है,
 
कहा जाता है की वही राष्ट्र विकास करता है जो नीति निर्माण मे सक्षम हो और वह किसी दूसरे पर निर्भर न हो तो चलिए जानते है संविधान क्या है--

संविधान क्या है

संविधान एक लिखित दस्तावेज़ होता है जो राष्ट्र की सर्वोच्च विधि के रूप मे कार्य करता है जिसमे उस राष्ट्र के समस्त अंगो का निर्धारण (कार्यपालिका,विधायिका,न्यायपालिका) व उन अंगों के कार्य करने के प्रकृति व शक्तियों का विवरण होता है साथ साथ उस राष्ट्र के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों व कर्तव्यों का निर्धारण करता है ।

वस्तुतः संविधान राष्ट्र के शाशन को निरंकुश व तानाशाही होने से रोकता है व सरकार के सभी अंगों को मर्यादित रूप से कार्य करने के प्रकृति को बताता है

संविधान राष्ट्र के नागरिकों की आशा व उपेक्षाओं की पूंजी होता है ।

भारतीय संविधान की प्रस्तावना



प्रस्तावना को संविधान की आत्मा कहा जाता है क्योंकि यह संविधान के मूल उद्देश्यों को परिभाषित करता है व संविधान नीति निर्माताओं की मंशा का स्पष्ट करता है भारतीय संविधान की प्रस्तावना इस प्रकार है-

हम भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्वसंपन्न (समाजवादी,पंथनिरपेक्षस) 42 वे संविधान संशोधन मे जोड़ा गया लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को -

न्याय-सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक

स्वतन्त्रता-विचार,अभिव्यक्ति,विचार,धर्म,और,उपासना

समता-प्रतिष्ठा और अवसर की प्राप्त करने के लिए

और उन सब मे व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली

बंधुत्व-बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर आज दिनांक 26 नवंबर 1949 को मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी संवत दो हजार छह विक्रमी को एततद्वारा संविधान को अधिनियमित व आत्मार्पित करते है

भारतीय संविधान के निर्माण का इतिहास


भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया जो 1946 मे कैबिनेट मिशन की प्रस्तुति पर बनाया गया था कैबिनेट मिशन ने संविधान की रूपरेखा प्रस्तुत की और संविधान सभा के निर्माण की सिफ़ारिश की 


कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 ई० में किया गया.

 संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 296 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे.

◆ मिशन योजना के अनुसार जुलाई, 1946 ई० में संविधान सभा का चुनाव हुआ. कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिय चुनाव हुए. इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्‍मीदवार निर्वाचित हुए।

◆ प्रांतों या देसी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया गया था. साधारणतः 10 लाख की आबादी पर एक स्थान का आबंटन किया गया था.

◆ प्रांतों का प्रतिनिधित्व मुख्यतः तीन समुदायों की जनसंख्या के आधार पर विभाजित किया गया था, ये समुदाय थे: मुस्लिम, सिख एवं साधारण.

◆ संविधान सभा में ब्रिटिश प्रातों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन सांप्रदायिक आधार पर किया गया- 213 सामन्य, 79 मुसलमान तथा 4 सिख.

◆ संविधान सभा के सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी.

◆ संविधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या 12 थी.

◆ संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसंबर, 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किए गए “उद्देश्य प्रस्‍ताव” के साथ प्रारम्भ हुई.

◆ 22 जनवरी, 1947 ई. को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियाँ नियुक्त कीं. इनमे प्रमुख थी- वार्ता समिति, संघ संविधान समिति, प्रांतीय संविधान समिति, संघ शक्ति समिति, प्रारूप समिति.

प्रारूप समिति का गठन

 बी. एन. राव द्वारा किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त, 1947 को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया तथा इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर को चुना गया. प्रारूप समिति के सदस्यों की संख्या सात थी, जो इस प्रकार है:

i. डॉ. भीमराव अम्बेडकर (अध्यक्ष)
ii. एन. गोपाल स्वामी आयंगर
iii. अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
iv. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
v. सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला
vi. एन. माधव राव (बी.एल. मित्र के स्थान पर)
vii. डी. पी. खेतान (1948 ई. में इनकी मृत्यु के बाद टी. टी. कृष्माचारी को सदस्य बनाया गया). संविधान सभा में अम्बेडकर का निर्वाचन पश्चिम बंगाल से हुआ था.

 3 जून, 1947 ई. की योजना के अनुसार देश का बँटवारा हो जाने पर भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 नियत की गई, जिसमें 235 स्थान प्रांतों के लिय और 89 स्थान देसी राज्यों के लिए थे.

 देश-विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर, 1947 ई. को किया गया और 31 दिसंबर 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थीं, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या एवं देसी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी.

 प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करने के बाद 21 फरवरी, 1948 ई. को संविधान सभो को अपनी रिपोर्ट पेश की.

 संविधान सभा में संविधान का प्रथम वाचन 4 नवंबर से 9 नवंबर, 1948 ई. तक चला. संविधान पर दूसरा वाचन 15 नवंबर 1948 ई० को प्रारम्भ हुआ, जो 17 अक्टूबर, 1949 ई० तक चला. संविधान सभा में संविधान का तीसरा वाचन 14 नवंबर, 1949 ई० को प्रारम्भ हुआ जो 26 नवंबर 1949 ई० तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया. इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे.

 संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष, 11 महीना और 18 दिन लगे. इस कार्य पर लगभग 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए.

 संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई.

 संविधान को जब 26 नवंबर, 1949 ई० को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं. वर्तमान समय में संविधान में 25 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं.

संविधान के कुछ अनुच्छेदों में से 15 अर्थात 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 372, 380, 388, 391, 392 तथा 393 अनुच्छेदों को 26 नवंबर, 1949 ई० को ही परिवर्तित कर दिया गया और इसी दिन संविधान सभा ने इस नवनिर्मित संविधान को मंज़ूर भी कर लिया जबकि शेष अनुच्छेदों को 26 जनवरी, 1950 ई० को लागू किया गया.

संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई० को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया.

और 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को अंगीकृत कर लिया गया जो विभिन्न संसोधनों के साथ आज़ तक क़ायम है और भविष्य में भी क़ायम रहेगी।

आज हमारा राष्ट्र विभिन्न  बलिदानों व हुए परिवर्तनों के बाद इस रूप में है और आप भी अपने राष्ट्र के विकास के लिए अवश्य संभव प्रयास करें ।

                                                                    जय हिन्द जय भारत भारत माता की जय


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