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Showing posts with the label Law

Bail Application

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 Law relating to the bail application in this artical we will discuss all Laws relating to the bail application in code of criminal procedure 1973 indians website Bail Application Every person in India to be free in accordance with the constitution article 21 which provides no person shall be detained without the procedure establish by law if anyone arrested detained wrongfully, person have right to take Bail in this article we will discuss law relating to the bail which given in the code of criminal procedure 1973 section relating to the bail under CrPC 1973 436 A CRPC maximum period for which an under trial prisoner can be detained 437 CRPC when bail may be taken in case of non bailable offence 437 A CRPC bail to required accused to appear before the next appellate court 438 CRPC direction for grant of bail to person apprehending arrest 436 A CRPC 436 a CrPC says that no person shell be detained for a period extending up to one half of the maximum period of imprisonment specified...

What is Section 302 IPC In Hindi | धारा 302 आईपीसी क्या है ?

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 धारा 302 आईपीसी क्या है ? ( Dhara 302 IPC kya hai in hindi ) हत्या के लिए दण्ड What Is Section 302 IPC  यह धारा हत्या के लिए दण्ड से संबन्धित है । आगे जानें Indians Website धारा 302 आईपीसी क्या है ? धारा 302 हत्या के लिए दण्ड से संबन्धित है धारा 302 के अनुसार - 302-हत्या के लिए दण्ड - जो कोई हत्या करेगा वह मृत्यु या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा । टिपन्नी यह धारा हत्या के लिए दंड का प्रावधान प्रस्तुत करती है किसी हत्या के प्रयास के लिए समान्यतः आजीवन कारावास ही नियम है और मृत्युदंड अपवाद सीआरपीसी की धारा 354 ख के अनुसार मृत्युदंड देते समय न्यायालय द्वारा मृत्युदंड के विशिष्ट कारणो को लेखबद्ध किया जाएगा। 302 - Punishment for murder- Whoever commits Murder shall be punished With Death or Imprisonment for life, and shall also be liable for fine. Comments This Section prescribed Law Relating to Punishment for Murder Ganerally Punishment for murder is life Imprisonment and death punishment is exception and According To section 354 B Crpc At The...

Section 307 IPC In Hindi | Dhara 307 IPC Kya Hai In Hindi

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आज आप जानेंगे की धारा 307 IPC क्या है ( Dhara / Section 307 kya Hai ) aur kya yah Bailable Ya nonbailable Offence hai व जमानत कैसे लें Dhara 307 me jamanat Section 307 IPC In Hindi | Dhara 307 Kya Hai Section 307 IPC Is Relating To The Attempt to Murder Section 307 Says- Whenever Does Any Act With Such Intention Or Knowledge, and Under Such Intention Or Knowledge, And Under Such Circumstances That, If He By That Act caused Death, He Would Be Guilty Of Murder,  Shall Be Punished With Imprisonment Of Either Description for A term which may extend to ten years,  and shall also be liable to fine, and if hurt is caused to any person by such act the Offender shall be liable either to (Imprisonment for life) or to such punishment as is hereinbefore mentioned. हिन्दी में -जो कोई किसी कार्य को ऐसे आशय या ज्ञान से और एसी परिस्थिति में करेगा की यदि वह उस कार्य द्वारा मृत्यु कारित कर देता तो वह हत्या का दोषी होता वह दोनों में से किसी भी भांति के कारावास से दंडनीय होगा जिसकी अवधि दस वर्ष ...

What are some of the best colleges to do a three-year LLB in India?

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 There Are Various Law College In By Which You Can Do Three Year LLB But In This Post We Will Give You Guidance Best Three Years Law College In India - Indians website Best Three Years Law College In India Delhi University Faculty Of Law The University Of Delhi Founded By The Act State Legislative Assambly In 1922 And it Recognize As A Institute By The UGC ( University Grant Commission ) it Provides law Degree By The Campus Of Faculty Of Law Faculty Of Law is Situated In The North Campus University Of Delhi It Provides LLB LLM And Ph.D In Law field  The University Of Delhi Provides Three Year LLB Courses By The Admission DU LLB Entrance Test. National Law University, Jodhpur National Law University A Public Law University Situated In Jodhpur Rajasthan Established By The National Law University Jodhpur Act 1999  It Provides Various Law Caurses Such As BBA LLB, BA LLB, Bsc LLB And LLM, MBA and Phd And Admission In The Law Courses Taken By The Entrance Test. National Law Un...

सूचना का अधिकार 2005 क्या है | Right Of Information Act 2005

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 सूचना का अधिकार 2005 (Right Of Information Act) क्या है और इसकी क्या विशेषताएँ है और क्या उद्देश्य है व कैसे Apply करें सूचना के अधिकार के तहत आवेदन पत्र Indians website सूचना का अधिकार 2005 क्या है | Right Of Information Act 2005 किसी भी लोकतान्त्रिक राष्ट्र के लिए यह आवश्यक होता है की वह वहाँ की जनता और प्रशासन के बीच पारदर्शिता रखे, भारत एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र है और इसी को ध्यान मे रखते हुए भारतीय संविधान निर्माताओं ने संविधान की धारा 19 (1) में  अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को स्थान दिया  और साथ-साथ  जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया इसी प्रावधान को आगे बढ़ते हुए सूचना का अधिकार 2005 अस्तित्व में आया और इसने Tex भरने वाले प्रत्येक नागरिक को अधिकार दिया की वह सरकार से उसके कार्यकलापों के बारे में प्रश्न पुछ सकता है। सूचना का अर्थ                     सूचना का अर्थ है-सरकारी एजेंसी के पास किसी भी रूप में राखी सामग्री जैसे फाइलें , अभिलेख यथा निविदा, ठेका , अनुबंध पत्र, एम.ओ. यू, लॉग बुक्स अधिसूचना, जी आर, आदेश, यथा ई...

जानें कैसे हुआ भारतीय संविधान का निर्माण

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 जानें कैसे हुआ भारतीय संविधान का निर्माण bharatiya samvidhan ka nirman kaise hua bharatiya samvidhan ka nirman making of indian constitution जानें कैसे हुआ भारतीय संविधान का निर्माण  किसी भी राष्ट्र को सुचारु रूप से चलना व उस राष्ट्र के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों, कर्तव्यों व विभिन्न शासन व्यवस्थों का निर्माण आसान काम नहीं होता है इसके पीछे उसकी एतिहासिक प्रष्ठभूमि एवं उसके संविधान का अहम भूमिका होती है,   कहा जाता है की वही राष्ट्र विकास करता है जो नीति निर्माण मे सक्षम हो और वह किसी दूसरे पर निर्भर न हो तो चलिए जानते है संविधान क्या है-- संविधान क्या है संविधान एक लिखित दस्तावेज़ होता है जो राष्ट्र की सर्वोच्च विधि के रूप मे कार्य करता है जिसमे उस राष्ट्र के समस्त अंगो का निर्धारण (कार्यपालिका,विधायिका,न्यायपालिका) व उन अंगों के कार्य करने के प्रकृति व शक्तियों का विवरण होता है साथ साथ उस राष्ट्र के नागरिकों के मूलभूत अधिकारों व कर्तव्यों का निर्धारण करता है । वस्तुतः संविधान राष्ट्र के शाशन को निरंकुश व तानाशाही होने से रोकता है व सरकार के सभी अंगों को मर्यादित रूप से...

Can a police officer arrest a person whose brother has committed crime?

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 Can a police officer arrest a person whose brother has committed crime? kya police Abhiyukt ke bhai ko giraftar kar sakti hai Can police Arrest Relatives of Accused Can a police officer arrest a person whose brother has committed crime? There is No Specific Provision For Arrest Of Relatives of the Accused but According to Crpc Rules Of Arrest No. There is no guilt by association. The police cannot threaten family members or friends of an individual who is a suspect in a crime or who has been arrested. Neither can the police take a family member or friend into custody and use them as a bargaining tool. If the police take a family member into custody without significant reason, it amount to a serious crime of illegal detention You Can File A Complaint Before The Officer Of Police Station or Magistrate In His Jurisdiction There Are Some rules Of Arrest Without Following The Rules Police Cannot Arrest The Person Of Accused Of Such Crime Or His Family member-- Read- Right Of Arrested ...

What is Anticipatory Bail

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 What is Anticipatory Bail Jane Anticipatory Bail how to Grant Anticipatory Bail By The Court Law Relating to Advance bail Indians Website What is Anticipatory Bail Anticipatory Bail is the Direction Of The Court For being stop Unreasonable  Unlawful Arrest Which is Being Performed by The Apprehension  That Person May have committed The Offence Anticipatory Bail is The Direction Of The Court for Granting The Bail Before The Arrest Of Person Who's Have Apprehension That He/she Can Be Arrest For Non-Bailable Offence  Anticipatory Bail Section 438 Crpc The Code Of Criminal Procedure 1973 Deals With Procedure Of Criminal Cases In india The Section Of Crpc 438 Deals With Anticipatory Bail Section 438 defines that Who Can Take Anticipatory bail Which Court Can Grant Anticipatory Bail 438. Direction for grant of bail to person apprehending arrest. (1) When any person has reason to believe that he may be arrested on an accusation of having committed a non- bailable offe...

What to Do if Someone Filled False Fir Against you | झूठी Fir दर्ज हो जाने पर क्या करें

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What to Do if Someone Filled False Fir Against you | झूठी Fir दर्ज हो जाने पर क्या करें jhuti fir darj ho jane par kya kare jhuthi fir jo jane par kanuni vikalp सामान्य तौर पर देखा जाता है की लोग आपसी मतभेद व इर्ष्या के कारण दूसरे व्यक्ति के ऊपर झूठी FIR दर्ज करा देता है Fir दर्ज ho जाने का बाद पुलिस द्वार निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है या विभिन्न परेशनियों व प्रताड़नाओं का सामना करना पड़ता है इन सभी परेशानियों व प्रताड़नाओं व परेशानियों से बचने के लिए यह आवश्यक हो जाता है की इसके लिए हमारे पास विधिक तौर पर विकल्प उपलब्ध हों तो चलिये आज हम आपके लिए उन विधिक विकल्पों की चर्चा करते है जिनका उपयोग आप झूठी फिर दर्ज जो जाने पर कर सकते है झूठी Fir दर्ज हो जाने पर क्या करें आपराधिक मामलों को क्रियान्वित करने के लिए भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता मुख्य भूमिका निभाती है भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 इस बारे में नियम हो बताती है तो चलिये जानते है क्या है धारा 482- क्या है भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता धारा -482 दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 उच्च न्यायालय की कुछ विशेष अंतर्निहित...

क्या है गिरफ्तारी के समय आपके अधिकार - जानें अपने अधिकारों को

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 भारतीय आपराधिक विधि के अंतर्गत भारत में रहने वाले प्रत्येक भारतीय को गिरफ्तारी के समय कुछ अधिकार दिये गए है यदि आप भारतीय है तो यह जानना आपके लिए आवश्यक है क्या है गिरफ्तारी के समय आपके अधिकार जानें अपने अधिकारों को  Your Right At The Time Of Arrest हर मनुष्य कुछ मूलभूत अधिकारों के साथ जन्म लेता है जैसे- जीवन जीने का अधिकार, स्वतन्त्रता का अधिकार इत्यादि यह अधिकार उससे छीने नहीं जा सकते और इन अधिकारों की सुरक्षा उस राष्ट्र को करनी होती है जिसमे वह निवास करता है,  इसके अतिरिक्त सभ्य समाज (राष्ट्र) में अन्य अधिकार मानव के विकास के लिए दिये जाते है तो चलिये देखते है क्या है वह अधिकार- गिरफ्तार व्यक्ति के कौन से भिन्न अधिकार है भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है”। 1. गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार- अनुछेद 22(1) निद्र्स्ट करता है की कोई भी व्यक्ति गिरफ्तारी का कारण बताए बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है 2.दंड प्रक्रिया संहिता की धारा...

What to Do If Police Refuse to Register An Fir

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 What to Do If Police Refuse to Register/Lodging An Fir यदि पुलिस Fir दिर्ज न करे तो क्या करें yadhi police fir darj na kare to kya karen There Are Various Legal Provision To Compel The Police To File Fir In Cognizable Case What To Do If Police Refuse To Register An Fir Section 154 Crpc Says In Cognizable Case Police Should Have To Register Fir Section 154 Crpc- Every Information Relating To The Commission Of Cognizable Offence ,If Given Orally to an Officer in charge a police station, shall be reduced to writing by him or under his direction and be read over to the informant;and every such information whether given in writing or reduced to writing as aforesaid  Shall be signed by the person giving it and the substance thereof shall be entered in a book to be kept by such officer in such form as the state government may prescribe in this behalf साधारण भाषा में- संज्ञेय  अपराध के होने के बारे में  प्रत्येक  जानकारी /शिकायत  चाहे वह  लिखित में  दी ग...

Stages Of Criminal Cases in India | भारत में आपराधिक मामलों के चरण

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   Stages Of Criminal Cases in India | भारत में आपराधिक मामलों के चरण Bharat main aapradhik Mamlon ke vibhinn charan There Are Various Stages of Criminal Cases in India Stages Of Criminal Cases in India | भारत में आपराधिक मामलों के चरण Start process Commission of a cognizable  offence/Bailable offence 1.Police Register Fir U/s154 Crpc 2. Anticipatory Bail U/s 438 Crpc 3.police may Arrest without the warrent  A/s2(C) and section 41  Crpc 4.May be Kept Police custody or Sent To Judicial Custody 3. If police does'not register complainant  person can file  private complainant     Against The Offender  before Competent Court   U/s200 Crpc   Complainant Meaning           Defined in 2(D) Crpc     Commission of non Cognizable/ Bailable offence 1 .Police Register NCR U/s 155 Crpc  2.police cannot arrest without warrant   A/s2(L) 3.Police Can Arrest U/S 151 To Prevent The  ...