Causes of World War 1 | प्रथम विश्व युद्ध का कारण

 Causes of World War 1 pratham vishv yuddh ke bahut sare karan hain aaj ham mukhya karan ke baare me aapko batyenge  प्रथम विश्व युद्ध का कारण Main Cause First World war

Causes of World War 1 | प्रथम विश्व युद्ध का कारण

Causes of World War 1 pratham vishv yuddh ke bahut sare karan hain aaj ham mukhya karan ke baare me aapko batyenge  प्रथम विश्व युद्ध का कारण Main Cause First World war


प्रथम विश्व युद्ध के बारे में आपने इतिहास की कई किताबों में बहुत कुछ पढ़ा होगा। वैसे तो 1914 से 1918 तक लड़ा गया यह महायुद्ध यूरोप, एशिया और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के समुद्र, धरती और आकाश में लड़ा गया था, लेकिन मुख्य रूप से इसे यूरोप का महायुद्ध ही कहा जाता है। अब बाकी कुछ जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर इस लड़ाई को 'विश्व युद्ध' क्यों कहा जाता है और दुनिया पर इसका प्रभाव पड़ा था। दरअसल, इस लड़ाई में भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे 'विश्व युद्ध' कहा जाता है।


प्रथम विश्व युद्ध के लिए किसी एक घटना को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं। इस युद्ध को 1914 तक हुई विभिन्न घटनाओं और कारणों का परिणाम माना जा सकता है। हालांकि फिर भी इस युद्ध का तात्कालिक कारण तो यूरोप के सबसे विशाल ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की बोस्निया में हुई हत्या को ही माना जाता है। 28 जून, 1914 को उनकी हत्या हुई थी, जिसका आरोप सर्बिया पर लगाया गया था। इस घटना के एक महीने बाद ही यानी 28 जुलाई, 1914 को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया। इसके बाद इस युद्ध में विभिन्न देश शामिल होते गए और आखिरकार इसने विश्व युद्ध का रूप ले लिया

  • 1.  उग्र राष्ट्रीयता की भावना का विकास राष्ट्रवाद के उदय के कारण यूरोप में उग्र राष्ट्रीयता की भावनाएं प्रबल हो चुकी थी, जिससे अनेक राष्ट्रों के मध्य उत्पन्न परस्पर पर तनाव, घृणा, द्वेष, प्रतिस्पर्धा इत्यादि की भावना ने युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर दी| इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह हुआ कि यूरोप के विभिन्न राष्ट्र अपने-अपने निजी स्वास्थ्य के लिए एक दूसरे का शोषण, परतंत्र बनाने का प्रयास और परस्पर युद्ध करने लगे इस प्रकार की उग्र राष्ट्रीयता इंग्लैंड स्पेन पुर्तगाल जर्मनी इटली व फ्रांस जैसे देशों में विकसित हुआ|
2. शत्रुता की भावना का विकास 1871 ईस्वी में जर्मनी ने फ्रांस को पराजित करके करके उसके लॉरेन प्रांत को अपने अधिकार में ले लिया|जिसके कारण फ्रांस ने जर्मनी से अपमान का बदला लेने के लिए अपनी नीति में परिवर्तन किया| इसी प्रकार के कारणों से रूस और तुर्की भी परस्पर शत्रु हो गए वही आर्थिक साम्राज्यवाद के कारण जर्मनी तथा इंग्लैंड एक दूसरे के शत्रु हो गए थे| इस प्रकार की शत्रुता ने प्रथम विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर दी|
3. गुटों का गठन प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व 1879 ईस्वी में जर्मनी के द्वारा ऑस्ट्रिया हंगरी के साथ एक प्रति रक्षात्मक संधि की गई| इसे विपक्षी गठबंधन भी कहा जाता है| इस संधि में इटली भी शामिल हो गया|1907 ईस्वी में यह संधि त्रिगुट संधि या त्रिपछीय गठबंधन गठबंधन के नाम से प्रसिद्ध हुई| इस गुट के परिणाम स्वरूप ब्रिटेन, फ्रांस व रूस ने आपसी मतभेद को भुलाकर एक अन्य गुट का गठन कर लिया| इस प्रकार यूरोप दो सैनिक गुटों में विभाजित हो गया|
4. आर्थिक प्रतिस्पर्धा यूरोप के विभिन्न देश प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध विदोहन कर रहे थे तथा अपने माल को बेचने के लिए अविकसित देशों को अपना उपनिवेश बनाने में लगे थे| जिससे इन देशों में आपसी मतभेद उभरने लगा| इस स्थिति में भी विश्व को युद्ध के निकट पहुंचा दिया|
5. सेराजेवो हत्याकांड 28 जून, 1914 की रात्रि में नोसनिया की राजधानी से सेराजेवो मे ऑस्ट्रिया के युवराज आर्क ड्यूक फ्रांसिस तथा उसकी पत्नी की
सर्बिया के आतंकवादियों के द्वारा बम फेंककर हत्या कर दी गई|ऑस्ट्रिया ने इस हत्याकांड के लिए सर्बिया को दोषी ठहराकर 28 जुलाई, 1914 को उसके विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दिया| प्रथम विश्व युद्ध का तत्कालीन कारण सिद्ध हुआ ।


इस युद्ध के समाप्त होते-होते दुनिया के चार बड़े साम्राज्यों रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया (तुर्क साम्राज्य) का विनाश हो गया था। इसके बाद यूरोप की सीमाएं फिर से निर्धारित हुईं और साथ ही अमेरिका भी एक 'महाशक्ति' के रूप में दुनिया के सामने उभरा। 

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