India China War 1962 Hindi | भारत चीन युद्ध 1962 हिन्दी में

 Know all about India China war 1962 and why this war was happen Bharat china war kyon hua tha भारत चीन युद्ध क्यों हुआ था इसके मुख्य कारण क्या थे जाने Indian website

india china war 1962


भारत-चीन युद्ध की सबसे बड़ी वजह है 4 हजार किलोमीटर की सीमा थी जो कि निर्धारित नहीं है इसे एलएसी कहते हैं। भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है। जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे भी चीन नहीं मानता और इसीलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है।


भारत चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध में अगर दोनों देशों की बीच सैनिक क्षमता देखी जाए तो भारत की ओर से इस युद्ध में 10 से 12 हजार सैनिक उतरे थे। वहीं चीन की ओर से 80 हजार सैनिक युद्ध के मैदान भारत के खिलाफ लड़े। युद्ध के मैदान में भारत की अपेक्षा चीन लगभग 8 गुना अधिक सैनिकों के साथ उतरा था लेकिन उसे भारतीय सैनिकों की ओर से कड़ी टक्कर मिली। चौंकाने वाली बात ये रही कि दोनों देश के हताहत सैनिकों के संख्या में कोई बड़ा अंतर नहीं था।

युद्ध में भारत की ओर से 1383 सैनिक शहीद हुए। वहीं चीन के लगभग 722 सैनिक मारे गए। घायल सैनिकों की बात की जाए तो 1962 के युद्ध में चीन के सैनिक अधिक घायल हुए थे। चीन के लगभग 1697 सैनिक घायल हुए थे, वहीं भारत के 1,047 घायल हुए।

दोनों देशों के बीच अगर कुल क्षति की बात की जाए तो अधिक अंतर नहीं था। भारत के इस युद्ध में घायल और मरने वालों की संख्या 2430 थी वहीं चीन के घायल और मरने वाले सैनिकों की संख्या 2417 थी।


हिंदी-चीनी भाई-भाई, लेकिन बॉर्डर पर दगा

चीन के बड़े नेता माओत्से तुंग ने 'ग्रेट लीप फॉरवर्ड' आंदोलन की असफलता के बाद सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर अपना फिर से नियंत्रण कायम करने के लिए भारत के साथ वर्ष 1962 का युद्ध छेड़ा था, उस समय हिंदी चीनी भाई-भाई नारा छाया रहता था, लेकिन बॉर्डर पर चीन की इस करतूत से हर कोई हैरान था। भारत को कभी यह शक नहीं हुआ कि चीन हमला भी कर सकता है, लेकिन 20 अक्तूबर 1962 को भारत पर हमला हो गया। यह किसी विश्वासघात से कम नहीं था, भारत इस युद्ध के लिए तैयार नहीं था। एक महीने तक चले इस युद्ध के बाद भारत को बड़ा सबक मिला, उसने सेना के आधुनिकीकरण पर काम किया। आज भारत के पास दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए दमखम के साथ साजो-सामान भी है। इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर ही लता मंगेशकर ने देशभक्ति गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गाया था, प्रदीप का लिखा यह गाना अमर हो चुका है।


ऐसे हुई भारत-चीन के बीच तनाव की शुरुआत

भारत को 1947 में आजादी मिली और दो साल बाद 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) बना। शुरुआती दिनों में दोनों पड़ोसी देशों के बीच मित्रवत संबंध थे। भारत सरकार की नीति चीन से दोस्ती बढ़ाने की थी। जब चीन दुनिया में अलग-थलग पड़ गया था, उस समय भी भारत चीन के साथ खड़ा था। जापान के साथ किसी वार्ता में भारत सिर्फ इस वजह से शामिल नहीं हुआ क्योंकि चीन आमंत्रित नहीं था। 1954 में भारत-चीन के बीच शांतिपूर्ण संबंधों को लेकर पंचशील समझौता हुआ, इसी समझौते के तहत भारत ने तिब्बत में चीन शासन को स्वीकार किया। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' का नारा दिया। मगर 1959 में दलाई लामा के भारत में शरण लेने के बाद दोनों देशों के संबंधों में तनाव आने लगा। यही भारत-चीन युद्ध की बड़ी वजह बना।


ग़लती

जवाहर लाल नेहरू ने भी ख़ुद संसद में खेदपूर्वक कहा था, "हम आधुनिक दुनिया की सच्चाई से दूर हो गए थे और हम एक बनावटी माहौल में रह रहे थे, जिसे हमने ही तैयार किया था."

इस तरह उन्होंने इस बात को लगभग स्वीकार कर लिया था कि उन्होंने ये भरोसा करने में बड़ी ग़लती की कि चीन सीमा पर झड़पों, गश्ती दल के स्तर पर मुठभेड़ और तू-तू मैं-मैं से ज़्यादा कुछ नहीं करेगा.

हालाँकि चीन के साथ लगातार चल रहा संघर्ष नवंबर 1959 के शुरू में हिंसक हो गया था, जब लद्दाख के कोंगकाला में पहली बार चीन ने ख़ून बहाया था.

इसके बाद ग़लतियाँ होती गईं. इसके लिए हमारे प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री को ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

लेकिन उनके सलाहकार, अधिकारी और सेना भी बराबर के दोषी हैं, क्योंकि इनमें से किसी ने भी नेहरू से ये कहने की हिम्मत नहीं दिखाई कि वे ग़लत थे.

उनका बहाना वही पुराना था यानी नेहरू सबसे बेहतर जानते थे. चीन के एकतरफ़ा युद्धविराम के बाद सेना प्रमुख बने जनरल जेएन 'मुच्छू' चौधरी का विचार था- हमने ये सोचा थे कि हम चीनी शतरंज खेल रहे हैं, लेकिन वो रूसी रोले निकला.

Comments

Popular posts from this blog

कानून कैसे बनता है | Sansand me Vidheyak kanoon kaise banta hai